
रक्त अभिषेक
रक्त अभिषेक एक आध्यात्मिक गाथा मानव सभ्यता के अंतर वही संघर्षों की एक ऐसी घटना पर आधारित है किंतु आज के समसामयिक राजनीतिक सामाजिक परिदृश्य में उतनी ही प्रासंगिक है सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा अपने ही राजा अंतिम मौर्य सम्राट वृद्ध की हत्या की घटना के बहाने नाटककार ने इस नाटक कृति में भारतीय मानस के आदर्शवाद बना यथार्थवाद कम बनाम कर्म अनुरक्ति बना व्यक्ति तथा हिंसा बना अहिंसा के शाश्वत द्वंद का अन्वेषण एवं विश्लेषण किया है जिसमें प्रजा जनों के बहुजन के हिट सुख और कल्याण के लिए की गई हिंसा भी सत्य शिव और सुंदर प्रमाणित होती है राजा का कार्य प्रजा पालन है किंतु यदि राजा प्रजा के हित से मुंह मोड़ कर विलासिता और चाटुकारिता पूर्ण राजनीति से ग्रस्त होकर आत्म केंद्रित एवं हो जाए तो उसका वध भी प्रजा हित के लिए किस प्रकार आवश्यक हो जाता है नाटक में इसकी स्थापना की गई है क्या इस घटना से कई तानाशाहों के प्रकरण को जोड़कर नहीं समझा जा सकता है
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FACTS: